आज हम इस अध्याय में bharat ki mitti के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। जो आपकी आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से बनाया गया है। उम्मीद है आप इसस जरूर लाभान्वित होंगे।
मिट्टी या मृदा किसे कहते हैं?
पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत जो पेड़ पौधों को उगने व उन्हे जीवित रखने के लिए आवश्यक खनिज प्रदान करती हैं, मिट्टी या मृदा(soil) कहलाती है।
संरचना के आधार पर मिट्टियाँ विभिन्न प्रकार की पायी जाती है। इसकी विभिन्नता सम्बन्ध वहाँ की धरातलीय स्वरूप, जलवायु ,वनस्पति आदि से होता है।
मिट्टी का अध्ययन मृदा विज्ञान कहलाता है।
भारत की मिट्टियों को 08 प्रकार से विभाजित किया गया है (bharat ki mitti)
1.जलोढ़ मिट्टी
जलोढ़ मिट्टी को दोमट मिट्टी के नाम से भी जाना जाता है। नदियों द्वारा बहाकर लायी गयी मिट्टी को जलोढ़ मिट्टी कहा जाता है। यह देश के करीब 40 प्रतिशत भाग में फैली हुई है।
इस मिट्टी को दो भागों में विभाजित किया गया है—बांगर व खादर में
बांगर मिट्टी
नदियों द्वारा बहाकर लायी गयी पुरानी मिट्टी होती है। इसकी उर्वरता कम होती है।
खादर मिट्टी
यह नदियों द्वारा प्रत्येक साल बाढ़ द्वारा बहाकर लायी गयी मिट्टी है। यह मिट्टी बांगर की तुलना में अधिक उपजाऊ होती है। इस मिट्टी में नाइट्रोजन व ह्यूमस की कमी होती है।
यह मिट्टी (जलोढ़ मिट्टी ) प्रमुखतः धान,गेहूँ, गन्ना, दलहन आदि फसलों की खेती के लिए बहुत उपयुक्त है।
2.काली मिट्टी
इस मिट्टी को रेगुर भी कहा जाता है। इस मिट्टी का रंग काला होता है। यह मिट्टी कपास की खेती के लिए सबसे उपयुक्त है। इसलिए इसे कपासी मिट्टी की संज्ञा दी गयी है।
इसका निर्माण ज्वालामुखी लावा के टूटने-फूटने व अपरदन से हुआ है। इसमें मैंग्नेटाइट ,लोहा ह्यूमस आदि की प्रचुरता होने के कारण इसका रंग काला होता है। यह मिट्टी नमी को सबसे अधिक समय तक धारण कर सकती है।
bharat ki mitti
इसमें कपास, मोटे अनाज, खट्टे फल, सूर्यमुखी ,तिलहन आदि की खेती की जाती है।
काली मिट्टी को तीन भागों में विभाजित किया गया है—
1.छिछली काली मिट्टी
2.मध्यम काली मिट्टी
3.गहरी काली मिट्टी
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3.लाल मिट्टी
सामान्य से लेकर भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में पुरानी चट्टानों की कटाई से बनी हुई मिट्टी से इसका निर्माण होता है। इस मिट्टी का विस्तार अधिकतर दक्षिण भारत पाया जाता है। लाल आक्साइड की उपस्थिति के कारण इसका रंग लाल है। यह मिट्टी औसतन कम उपजाऊ होती है। यह मिट्टी पूरे तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र,कर्नाटक और उड़ीसा के कुछ हिस्सों में पायी जाती है।
ऊंचे इलाकों में यह बाजरा,आलू और मूंगफली के लिए उपयुक्त है। जबकि निचले इलाकों में तम्बाकू, रागी, व चावल,सब्जियों के लिए उपयुक्त है।
4.लैटेराइट मिट्टी
इस मृदा का अध्ययन सर्वप्रथम सन् 1905 ई0 में एफ0 बुकानन द्वारा किया गया था। 200 सेमी0 से अधिक वर्षा वाले इलाकों में चूना व सिलिका के निक्षालन से इसका निर्माण होता है।
इस मिट्टी में सामान्यतः चारागाह व झाड़ पाये जाते हैं। परन्तु उर्वरकों का प्रयोग करके इसमें चावल, काजू व रागी आदि को उगाया जा सकता है।
इस मिट्टी में इल्युमिनियम आक्साइड व लौह आक्साइड की अधिकता पायी जाती है। यह मिट्टी प्रायः तमिलनाडु,केरल, महाराष्ट्र उड़ीसा,छत्तीसगढ़ व असम के पहाड़ी क्षेत्रों में पायी जाती है।
बनावट के आधार पर इस मिट्टी को तीन भागों में विभाजित किया गया है (bharat ki mitti)
1.भूजलीय लैटेराइट मिट्टी
2.गहरी लाल लैटेराइट मिट्टी
3.स्वेत लैटेराइट मिट्टी
5.पर्वतीय मिट्टी
पर्वतीय मिट्टी को वनीय मृदा भी कहा जाता है। इस प्रकार की मिट्टियाँ हिमालय की घाटियों व ढलानों में पायी जाती हैं। इसका पूर्ण रूप से अध्ययन नही किया जा सका है।
इस मिट्टी में मसाने ,चाय व काफी आदि की खेती की जाती है। यह मिट्टी जम्मू-कश्मीर से लेकर अरूणांचल प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र में पायी जाती है।
6.मरूस्थलीय मिट्टी
इस मिट्टी में बालू की अधिकता पायी जाती है। इसमें नमी धारण करने की क्षमता सबसे कम पायी जाती है। यह मिट्टी अरावली पर्वत और सिन्धु घाटी के मध्य के क्षेत्रों मुख्यतः पश्चिमी राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश ,दक्षिणी हरियाणा व उत्तरी गुजरात में पायी जाती है व ज्वार जैसे मोटे अनाज व तिलहन के लिए उपयुक्त है ।
7.लवणीय व क्षारीय मिट्टी
यह मिट्टी लगभग सभी जलवायु प्रदेशों में पायी जाती है। यह राजस्थान ,हरियाणा,पंजाब, महाराष्ट्र, तमिलनाडू,बिहार व उत्तर प्रदेश के शुष्क व अर्धशुष्क क्षेत्रों में फैली हुई है।
सोडियम व मैग्नेशियम की प्रचुरता के कारण यह मिट्टी लवणीय होती है और कैल्शियम व पोटैशियम की अधिकता के कारण क्षारीय होती है। यह मिट्टी खेती के लिए सही नहीं है। इस मिट्टी को स्थानीय लोगों द्वारा कल्लर,रेहू, ऊसर ,चॉपेन आदि नामों से जाना जाता है।
8.दलदली मिट्टी
प्रायः लम्बे समय तक जलभराव होने व अधिक नमी होने से कार्बनिक तत्बों के जमाव के फलस्वरूप इस प्रकार की मिट्टी का निर्माण होता है। यह मिट्टी मुख्यतः जल भराव वाले क्षेत्रों में पायी जाती है।
इसमें घुलनशील लवणों की प्रचुरता पायी जाती है किन्तु फास्फोरस व पोटाश की मात्रा न्यून होती है। यह मिट्टी खेती के लिए उपयुक्त नहीं है। यह मिट्टी अम्लीय प्रकृति की होती है। इसका विस्तार बिहार,पश्चिम बंगाल,उत्तराखण्ड, तमिलनाडु व उड़ीसा आदि राज्यों में पाया जाता है।
कुछ महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न-bharat ki mitti
1.कपास की खेती के लिए कौन सी मिट्टी उपयुक्त है?
- काली मिट्टी
- लाल मिट्टी
- पर्वतीय मिट्टी
- लेटेराइट मिट्टी
- पुरानी जलोढ़ मिट्टी को निम्नलिखित में से क्या कहा जाता है?
- खादर
- बांगर
- रेगुर
- काली मिट्टी
1500+ सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
- निम्नलिखित में से किस मिट्टी का निर्माण ग्रेनाइट व नीस चट्टानों के अपक्षयन से होता है?
- लाल मिट्टी
- काली मिट्टी
- पीली मिट्टी
- लैटेराइट मिट्टी
- भारती की अधिकतम उर्वरता वाली मिट्टी कौन सी है?
- लाल मिट्टी
- काली मिट्टी
- जलोढ़ मिट्टी
- पर्वतीय मिट्टी
5.निम्नलिखित में से कौन सी मिट्टी धान की खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है?
- लाल मिट्टी
- काली मिट्टी
- जलोढ़ मिट्टी
- लैटेराइट मिट्टी
- काली मिट्टी निम्नलिखित में किसके लिए उपयुक्त नहीं है?
- मूंगफली
- गेहूँ
- कपास
- गन्ना
- किस रसायन का उपयोग कर ऊसर भूमि को उपजाऊ बनाया जा सकता है?
- सैल्सियम सुपर फास्फेट
- लाइम
- जिप्सम
- आर्गेनिक रसायन
- भारत के कौन से राज्य में बंजर भूमि का विस्तार सबसे ज्यादा है?
- मध्यप्रदेश
- गुजरात
- राजस्थान
- आंध्र प्रदेश
9.भारत में लाल मिट्टी प्रायः कौन से क्षेत्र में पायी जाती है?
- केवल दक्षिणी क्षेत्रों में
- केवल पूर्वी क्षेत्रों में
- दक्षिणी पठार के पूर्वी तथा दक्षिणी भाग में
- इनमें से कोई नहीं
- किस कारण मिट्टी का लवणीकरण होता है?
- पीड़कनाशी
- फसल आवर्तन
- भूमि कटाव
- जल भराव
- एलुमिनियम तथा आयरन आक्साइड की मात्रा अधिक पाये जाने के कारण …………… मिट्टी कहलाती है।
- पेडलफर मिट्टी
- पॉडजॉल मिट्टी
- चारागाह मिट्टी
- चर्नोजेम मृदा
12.निम्नलिखित में से किस मृदा में पौधों को सबसे अधिक पानी मिलता है?
- चिकनी मिट्टी
- बलुई मिट्टी
- लोम मिट्टी
- पांशु मिट्टी
- सबसे अधिक क्षारीय मिट्टी वाला राज्य कौन सा है?
- पंजाब
- गुजरात
- उत्तर प्रदेश
- हरियाणा
- निम्नलिखित में किस मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की अधिकता पायी जाती है?
- पीट मिट्टी
- लाल मिट्टी
- काली मिटटी
- लैटेराइट मिट्टी
- निम्नलिखित में से कौन सी फसल मिट्टी में NO2 के स्तर को बढ़ा देती है?
- सूरजमुखी
- मूली
- मटर
- आलू